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इस्लाम के आगमन काल से ये भव्य देव स्थल इस्लामिक ज़ेहादिओं के निशाने पर रहे हैं. गौरी,अब्दाली, खिलज़ी जैसे सैंकड़ों मुस्लिम आक्रान्ताओं ने मंदिरों को लूटा और मिस्मार किया. फिर भी हिन्दुओं की आस्था में कोई कमी नहीं देखने को मिली - मगर किसी धर्माचार्य ने इन देवालयों की धन संपदा को इनकी और हिन्दू समाज की हिफाज़त के लिए सदुपयोग की नहीं सोची. मुस्लिम मज़हब के रहनुमा इस लूट के धन को मज़हब को फ़ैलाने और मज़बूत करने पर खर्च करते . चर्च ने तो अपनी सेना और शस्त्रागार तक बना रखे थे. इस्लाम और चर्च की दो तरफ़ा मार सह रहा हिन्दू धर्म और समाज आज भी इन धर्म के ठेकेदार मठाधीशों के आगे बेबस है. इतिहास गवाह है कि हमारे इन धर्म के ठेकेदारों ने कभी भी अपने धर्म और समाज की रक्षा और कल्याण के लिए कुछ नहीं किया.
अहमदशाह अब्दाली ने जब सिखों के हरमंदिर साहेब को मिस्मार करने के लिए हमला किया तो २२ सिंह हरि-मंदिर की रक्षा करते हुए शहीद हो गए. हिन्दुओं के हजारों मंदिर मुगलों द्वारा लूटे और गिराए गए, मगर किसी भी मठाधीश या पांडे ने अपने देव स्थान की रक्षा करते हुए जान नहीं दी. अब्दाली ने हिन्दुओं के पवित्र धरम स्थल मथुरा -वृन्दावन और गोकुल के पवित्र मंदिरों को ही नहीं तोडा बल्कि एक हिन्दू के सिर की कीमत ५/- रूपए लगा दी . अफगान सैनिकों ने मासूम हिन्दू बच्चों के सरों के ढेर लगा दिए . मथुरा के पांडे मंदिरों को छोड़ भाग खड़े हुए. सिर्फ नांगा साधुओं ने अफगान सैनिको का सामना किया और बहुत से सैनिक मार गिराए
2 comments:
To counter radical islam in Hindustan ,all bhumihars have to be reunited unconditionally now.
Instead of these better look out the needy bhumihar(If you are so concerned about the cast) and help him/her.
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